संस्कार अहंकार धनवान निर्धन है कोई सूक्ष्म जीव कोविड विविध व्याधियां चिंता है देती दौलत धूप-छांव सी भगवान रूप का हिन्दीकविता hindikavita lovelanguage जगत का प्रेम क्षणिक है खुदावंद का प्रेम अनंत है प्रकृति उसकी दीवानी है प्रकृति कोप सन्देश वरदान

Hindi प्रकृति का रूप संवरता है Poems